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प्रूफ-ऑफ-स्टेक (PoS) क्रिप्टो में होने वाली लेनदेन को संसाधित करने और ब्लॉकचेन में नए ब्लॉक बनाने के लिए एक Consensus Mechanism है। कुछ सालो पहले यह काम Proof of work के Algorithm के द्वारा किया जाता था फिर उसमें परेशानिया आने के कारण प्रूफ-ऑफ-स्टेक (PoS) बनाया गया।
Consensus Mechanism मैकेनिज्म वितरित डेटाबेस में एंट्री को मान्य करने और डेटाबेस को सुरक्षित रखने का एक तरीका है। इस डेटाबेस को ब्लॉकचेन जाता हैं जिसे Consensus Mechanism सुरक्षित करता है।
आये जानते हैं की प्रूफ-ऑफ-स्टेक (PoS) प्रूफ-ऑफ-वर्क से कैसे अलग है और क्रिप्टो के क्षेत्र में इसका क्या योगदान हैं।
प्रूफ-ऑफ-स्टेक (PoS) क्या है? proof of stake (PoS) in hindi
प्रूफ-ऑफ़-स्टेक ब्लॉकचैन में ब्लॉक और लेनदेन की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए जरुरी computational work की मात्रा को कम करता है। प्रूफ-ऑफ़-स्टेक ब्लॉकचैन को सुरक्षित रखता हैं
प्रूफ-ऑफ़-स्टेक क्रिप्टो माइनर की मशीनो को उपयोग करके ब्लॉकों को verify करने के तरीके को बदल देता है, जिससे ज्यादा कम्प्यूटेशनल काम करने की जरुरत नहीं है। ब्लॉक को verify करने और फिर validators बनने के अवसर के लिए माइनर अपने coins को collateral—staking के रूप में पेश करते हैं।
लेन-देन की पुष्टि करने और ब्लॉक जानकारी को मान्य करने के लिए Validators को यादृच्छिक रूप से चुना जाता है। Validator बनने के लिए crypto miner को निश्चित रूपसे कुछ coins को stake करना पड़ता हैं
उदाहरण के लिए, उपयोगकर्ता को Validator बनने से पहले 32 Ethereum की आवश्यकता होती है। एक से अधिक Validator को ब्लॉक verify करने के लिए दिए जाते हैं, और जब निश्चित संख्या में Validator ये सुनिश्चित करते है कि ब्लॉक सही है, तो इसे अंतिम रूप दिया जाता है और बंद कर दिया जाता है।
जब एथेरियम ने शार्डिंग लॉन्च किया था तब validator ट्रांसेक्शन को वेरीफाई करते थे उसके बाद shard block में डाल देते थे, जिस के लिए से कम 128 Validator की समिति होती थी, एक बार शार्डस वेरीफाई हो के ब्लॉक बन जाता था फिर 2/3 Validators की सहमति चाहिए होती थी की ट्रांसेक्शन सही हैं फिर ब्लॉक को बंध किया जाता था
Proof-of-Stake vs Proof-of-Work
दोनों consensus mechanisms ब्लॉकचैन में डाटा को synchronize करने, जानकारी मान्य करने, लेनदेन की प्रक्रिया करने में मदद करते है। दोनों प्रक्रियाएं ब्लॉकचैन को सही बनाये रखने में सही साबित हुई हैं, हालाँकि, दोनो algorithms में बहुत भिन्नता हैं।
PoS में ब्लॉक बनाने वाले को validator कहा जाता हैं, एक validator प्रक्रिया की जाँच करता हैं, उसे मान्यता देता हैं और रिकार्ड्स को संभालता हैं, जबकि PoW में ब्लॉक्स बनाने वालों को miner कहा जाता हैं miners अपनी मशीनों द्वारा हैश रेट प्रदान करते हैं और प्रक्रिया को वेरीफाई करते है जिस के बदले में उनको कुछ cryptocurrency coins मिलते है।
PoS ब्लॉकचेन पर validator बनने के लिए केवल पर्याप्त सिक्कों या टोकनों की आवश्यकता है। जबकि PoW में validator बनने के लिए माइनिंग मशीनों में आपको निवेश करना पड़ता हैं और हैश रेट प्रदान करके क्रिप्टो कॅल्क्युलेशन्स को हल करना पड़ता हैं जिस के लिए आपको भरी मात्रा में बिजली की जरुरत रहती हैं
Proof of Stake | Proof of Work |
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ब्लॉक क्रिएटर्स को वैलिडेटर कहा जाता है | ब्लॉक क्रिएटर्स को माइनर्स कहा जाता है |
वैलिडेटर बनने के लिए प्रतिभागियों के पास सिक्के या टोकन होने चाहिए | माइनर बनने के लिए मशीने लेनी होगी और उर्फ पर खर्च करना होगा |
बिजली बचाता हैं | बिजली नही बचाता हैं |
सामुदायिक नियंत्रण के माध्यम से सुरक्षा | महंगी अग्रिम आवश्यकता के कारण मजबूत सुरक्षा |
वैलिडेटर पुरस्कार के रूप में लेनदेन शुल्क प्राप्त करते हैं | माइनर को ब्लॉक इनाम मिलता है |
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